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एक लड़की की अधूरी लव स्टोरी
रायपुर शहर यह शहर बहुत ही रफ्तार से चलता है। पर यहां पर मेरी जिंदगी मानो थम सी गई है। और इस थमी हूईप जिंदगी में अचानक मेरी जिंदगी में बहार आ गई। मुझे अब किसी के आने का नहीं बल्कि किसी के पास जाने की बेचैनी थी। मेरा मन परेशान हुए जा रहा था। मैं उससे मिलने के लिए बेताब थी। पर ये कमबख्त रात है जो जल्दी से खत्म ही नहीं हो रही थी। मुझे उस सुनहरी सुबह का बेसब्री से इंतजार था। कि आज सुबह जल्दी आए और मैं जा करके उससे मिलु और उससे अपने प्यार का इकरार करू। जो की बहुत दिनों से मेरे मन में दबी हुई थी।कल का दिन बहुत ही खास था। क्योंकि कल वैलेंटाइन डे था। और मुझे इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। उसके यादों में आज की रात कैसे कटी मुझे पता ही नहीं चला। कब सुबह हो गई समझ में नहीं आया। फिर बहुत इंतजार के बाद आखिरकार वह सुनहरी सुबह आ ही गई ।उसके ख्यालों में पूरी रात निकल गई और फिर वह सुनहरी सुबह मैं जल्दी जल्दी से फ्रेश होकर और स्नान करके तैयार हुई और आज मुझे भूख भी नहीं लगी थी। क्योंकि मुझे उससे मिलने जो जाना था ।बिना नाश्ता किए ही मैं घर से उससे मिलने के लिए निकल पड़ी। और रोजाना की तरह मैं आज फिर उसी जगह पर गई जहां मैं रोज जाया करती थी ।जहां हम रोज जाकर के रेल के आने का इंतजार और साथ बैठकर हम बातें करते थे । और इन्हीं बातों बातों में कब मैं अपना दिल उसे दे बैठी कब मुझे उससे प्यार हो गया, यह मुझे समझ में ही नहीं आया। अब मैं उससे मुहब्बत करने लग गयी थी।लेकिन मैं इतनी हिम्मत नही जुटा पा रही थी कि मैं उससे अपने प्यार का इजहार कर सकु।पर आज मैंने अपना इरादा मजबूत कर ली थी कि आज मैं उसके सामने अपने प्यार का इजहार कर लुंगी। बस इसी मजबूत इरादे से आज समय से पहले ही मैं स्टेशन के बगल वाली फुल दुकान पर जाकर बैठ गई जहां हम रोजाना बैठकर वातलाप करते थे। और उसका इंतज़ार करने लगी।
लेकिन कमबख्त आज मानो जैसे समय थम सा गया हो। मुझे बेसब्री से उस पल का इंतज़ार था जब वो आए और मैं भागती हुई उसके पास जाऊं और वेलेंटाइन डे विस करु और अपने प्यार का इजहार करूं।पर शायद समय को कुछ और मंजूर था। मेरे देर इंतज़ार के बाद भी वह नहीं आया। मेरे दिल में अजीब अजीब के ख्याल आने लगे। बहुत देर इंतज़ार करने के बाद भी जब वह नहीं आया तो मैं मायुस होकर अपने घर चली आई। आज मुझे अपने घर में भी मन नहीं लग रहा था।बार बार मुझे उसकी याद पहले से ज्यादा आ रही थी। फिर मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न मैं उससे उसके घर जाकर मिल लु। फिर मैं फौरन ही उसके घर जाने के लिए निकल पड़ी। लेकिन मुझे उसके घर का पता मालूम नहीं था। लेकिन पहले के एक दिन के बात से मुझे सिर्फ उसका आधा अधुरा पता मालूम था। और उससे मिलने की चाहत ने मुझे इतना यकीन दिला दिया था कि मैं अधुरे पते से ही मैं उसके घर का पता लगा लुंगी।बस इसी मन के विश्वास के कारण मैं उससे मिलने उसके घर के लिए निकल गई। और मेरे मन के विश्वास का जीत भी हुआ। आखिर कार मैंने उसका घर ख़ोज लिया।अब समस्या यह थी कि मैं उसके घर में जाऊं कैसे। फिर मेरे मन में ख्याल आया कि मैं उसके साथ उसके औफिस में ही काम करती हु और ऑफिस के काम से ही मैं उससे उसके घर पर मिलने आई हूं। ऐसा सोचकर मैं उसके घर के बाहर गई। और आवाज लगाई। फिर दरवाजा खुला। और अंदर से 1 महिला आई। मैंने उससे बताया कि मैं उनके बेटे के ऑफिस में काम करती हूं। फिर उन्होंने मुझे अंदर आने को कहा। फिर मैं अंदर जा कर बैठी। और बातों बातों में यह पता चला कि उसके बॉस उसके काम से बहुत पसंद थे। और उसका प्रमोशन हो गया था। इसी बहाने मुझे भी उसे बधाई देने का अवसर मिल गया। और मैंने भी उसके घर वालों को बधाई दिया। और मुझे यह पता चला कि अब वह 4 सालों के लिए आउट ऑफ सिटी जा चुका है। और उसका पेमेंट भी पहले से ज्यादा हो चुका है। और इससे उसके घर वाले बहुत खुश है। उन्होंने मेरा बहुत अच्छी तरह से स्वागत किया। और बेबहुत ही खुश थे और उनकी खुशी देखकर मैं भी अब खुश हो गयी थी।वहां से नाश्ता करने के बाद अब मैं वहां से चलने की तैयारी करने लगी और वहां से मैं वापस आ गई वापस आते हुए मेरे मन में उस से बिछड़ने का गम तो जरूर था लेकिन एक खुशी भी थी कम से कम उसकी अब जिंदगी खुशहाल हो गई अब वह एक कामयाब इंसान बन गया और मेरे दिल के अंदर एक सुकून था कि वह भले मुझसे दूर हो गया लेकिन उसकी जिंदगी संभल गई और वह कामयाब इंसान बन गया और अब मुझे मुझे उससे दूर होने का गम तो था भी साथ में दुख भी था लेकिन एक सुकून भी था कि अब वह कामयाब इंसान और सफल इंसान बन गया है अब उसकी जिंदगी में सारी खुशियां मिल जाएगी। और मुझे यह भी पता था कि 4 साल तक मेरी शादी भी हो जाएगी इसलिए मैंने यह सोचा कि अब इसे बस यादों में बसा कर रखना होगा। मैं इस पहले प्यार को अपने पुरे जीवन नहीं भुला सकती हुं।यह प्यार सदा मेरे दिल में रहेगा।आज मैं यह सोच रही थी कि काश मैं अपने प्यार का इजहार और पहले ही कर लेती तो शायद यह मुमकिन था कि मुझे अपनी पुरी जिंदगी उसके यादों के सहारे नहीं बल्कि उसके साथ बिताती।आज मुझे मेरी भुल का एहसास भी हो रहा था।पर अब उसके यादों और प्यार को पुरी जिंदगी दिल में बसा कर रखना ही मेरी किस्मत बन चुकी थी। शायद किस्मत को उसका साथ नहीं बल्कि सिर्फ उसके यादों और प्यार को दिल में बसा कर रखना ही मंजूर था। शायद इसीलिए ही मेरे साथ ऐसा हुआ हो।।न है मुझे किसी से शिकवा और न ही शिकायत है, मेरे नसीब में जो नहीं था वो मुझको मिला नहीं।।। बस इतनी सी मेरी थी अधूरी प्रेम कहानी ..........................।। धन्यवाद ।।
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। धन्यवाद।
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